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गीता प्रेस, गोरखपुर >> प्रेम दर्शन

प्रेम दर्शन

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 894
आईएसबीएन :81-293-0542-9

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इस पुस्तक में देवर्षि नारद विरचित भक्तिसूत्र प्रस्तुत किये गये है।

Prem Darshan -A Hindi Book by Hanumanprasad Poddar - प्रेम दर्शन - हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

प्रार्थना और निवेदन

नवजलधरवर्णं चम्पकोद्भासिकर्णं
विकसितनलिनास्यं  विस्फुरन्मन्दहास्यम्।
कनकरुचिदुकूलं चारुबर्हावचूलं
कमपि निखिलसारं नौमि गोपीकुमारम्।।
मुखजितशरदिन्दुः केलिलावण्यसिन्धुः
करविनिहतकन्दुः  वल्लवीप्राणबन्धुः।
वपुरुपसृतरेणुः कक्षनिक्षिप्तवेणु-
र्वचनवशगधेनुः पातु मां नन्दसूनुः।।
त्वां च वृन्दावनाधीश त्वां च वृन्दावनेश्वरि।
काकुभिर्वन्दमानोऽयं मन्दः प्रार्थयते जनः ।।
योग्यता में न काचिद्वां कृपालाभाय यद्यपि।
महाकृपालुमौलित्वात्तथापि कुरुतं कृपाम्।।
अयोग्ये सापराधेऽपि दृश्यन्ते कृपयाकुलाः।
महाकृपालवो हन्त लोके लोकेशवन्दितौ।।
भक्तेर्वां करुणाहेतोर्लेशाभासोऽपि नास्ति मे।
महालीलेश्वरतया तथाप्यत्र प्रसीदत्तम्।।
यदक्षम्यं नु युवयोः सकृद्भक्तिलवादपि।
तदागः क्वापि नास्त्येव कृत्वाशां प्रार्थये ततः।।

प्रथम पृष्ठ

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